इंदौर की ऐतिहासिक कृष्णपुर छत्री, जो कभी आहिल्याबाई होल्कर की विरासत और नगर की पहचान मानी जाती थी, समय के साथ उपेक्षा और अस्वच्छता की शिकार हो गई थी। प्रशासनिक उदासीनता और जागरूकता की कमी के कारण, यह स्मारक न केवल गंदगी से घिर गया था, बल्कि असामाजिक गतिविधियों का भी केंद्र बनता जा रहा था।
इसी पृष्ठभूमि में, ‘टीम रामदूत रीस्टोर्स’ की युवा टीम ने एक आदर्श पहल की शुरुआत की। अपने शहर की सभ्यता और गौरव को बचाने के उद्देश्य से, टीम के सदस्यों ने स्वयंसेवी ‘क्लीनलिनेस ड्राइव’ आयोजित की। यहाँ युवा, छात्र और अन्य जागरूक नागरिक, अपने हाथों में झाड़ू, पानी और सफाई के यंत्र लेकर इस अभियान में जुड़ गए।
उनकी मेहनत और टीमवर्क की वजह से कृष्णपुर छत्री की सफाई शुरू हुई और वहाँ अब नया जीवन महसूस किया जा सकता है। स्वयंसेवक न केवल फर्श और दीवारों की सफाई कर रहे हैं, बल्कि छत्री की मूर्तियों, खंभों और ऐतिहासिक अखंडता को भी पुनर्जीवित करने में जुटे हुए हैं। तस्वीरों में भी यह जोश और समर्पण साफ दिख रहा है—कुछ लोग नीचे झुककर पत्थरों की सफाई कर रहे हैं, तो कोई झाड़ू से गंदगी निकाल रहा है।
टीम रामदूत की यह पहल जनता तक साफ संदेश देती है कि पुरातन धरोहरों को बचाने के लिए सिर्फ सरकार या प्रशासन की ज़िम्मेदारी नहीं, बल्कि समाज के हर नागरिक की जवाबदारी है। युवाओं की कोशिशों ने दिखा दिया है कि यदि नागरिक आगे आएँ, तो कोई भी परिवर्तन असंभव नहीं।
इस सफाई अभियान के साथ कृष्णपुर छत्री को नयी पहचान और स्वाभिमान मिल रहा है। टीम रामदूत रीस्टोर्स का यह प्रयास न केवल सफाई का कार्य है, बल्कि इतिहास और विरासत को फिर से जीवंत करने की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल है।
समाप्ति युवाओं के जोश, प्रतिबद्धता और मेहनत से कृष्णपुर छत्री अब फिर से अपने पुराने गौरव की ओर लौट रही है। यह संदेश देता है कि हमारी धरोहरें हमारी पहचान हैं और उन्हें संजोना हम सभी का कर्तव्य है।









